मौनी अमावस्या , व्रत कथा
माघ मास की अमावस्या या मौनी अमावस्या पाप धोने और मोक्ष पाने का दिन है। इस दिन लोग स्नान, दान और अपने पितरों का तर्पण करते हैं।
कहते हैं कि इस दिन पवित्र संगम में देवताओं का निवास होता है, इसलिए इस दिन कई लोग महाकुम्भ में अमृत स्नान के लिए जाते हैं।
मौनी अमावस्या से जुड़ी एक व्रत कथा है, जिस इस दिन जरूर पढ़ना चाहिए।
इस कथा को पढ़ने से न केवल इस दिन की महत्ता का पता चलता है, बल्कि इस दिन में लोगों का विश्वास और भी अधिक बढ़ जाता है।
कथा के अनुसार, कांचीपुरी में देवस्वामी का एक ब्राह्मण परिवार रहता था, जिसकी पत्नी का नाम धनवती था।
दोनों के 7 बेटे थे और एक बेटी थी। बेटी का नाम गुणवती था।
गुणवती जब बड़ी हुई तो उसके पिता ने सबसे छोटे बेटे को उसकी कुंडली दी और ज्योतिषी के पास भेजा, ताकि उसके विवाह के लिए लड़का देखा जाए।
ज्योतिषी ने बताया कि गुणवती विवाह के बाद विधवा हो जाएगी। यह जानकर उसके पिता देवस्वामी और माता धनवती दुखी हो गए।
उन्होंने उस ज्योतिषाचार्य ने बचने का उपाय बताया।
ज्योतिषाचार्य ने कहा कि सिंहल द्वीप में सोमा धोबिन रहती है, जो बहुत ही पतिव्रता है।
यदि सोमा धोबिन तुम्हारे घर आकर पूजा करे और अपना अर्जित पुण्य दान कर दे तो गुणवती का सुहाग बच जाएगा ओर वह दोष मिट जाएगा।
यह जानकर देवस्वामी ने बेटी गुणवती को सबसे छोटे बेटे के साथ सोमा धोबिन के घर सिंहल द्वीप भेजा। दोनों भाई और बहन घर से निकलकर सोमा के घर की ओर चल दिए। दोनो समुद्र के किनारे पहुंचे और उसे पार करने के बारे में सोचने लगे।
लेकिन इसमें काफी समय बीत गया और दोनों को भूख और प्यास गयी।
भूखे-प्यासे दोनों भाई-बहन एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठ गए। उस पेड़ पर एक गिद्ध का परिवार भी रहता था।
गिद्ध के बच्चों ने गुणवती और उसके भाई की बातों को सुन लिया। गिद्ध के बच्चों ने अपनी मां को गुणवती और उसके भाई के बारे में बताया।
तब गिद्धों की माता ने अपने बच्चों को भोजन कराया और गुणवती के पास गई।
उसने कहा कि वो उन दोनों को सोमा धोबिन के घर पहुंचा देगी। अगली सुबह गिद्ध माता ने गुणवती और उसके भाई को समुद्र पार कराया और सोमा धोबिन के पास ले गई
गुणवती सोमा धोबिन के घर के पास ही रहने लगी। रोज सुबह सोमा के घरवालों के उठने से पहले ही गुणवती उसके घर को लीप देती थी।
एक दिन सोमा ने अपनी बहू से पूछा कि रोज घर कौन लीपता है? तब उसने कहा कि उसके अलावा ये काम कौन करेगा।
सोमा को विश्वास नहीं हुआ और वह पूरी रात जागती रही। सुबह होते ही उसने देखा कि एक युवती उसके आंगन में आई और आंगन की सफाई करके लीपने लगी।
तभी सोमा उसके पास आई और पूछा कि तुम कौन हो और ऐसा क्यों कर रही हो? तब गुणवती ने अपने आने का कारण बताया और पूरी बात बताई। इस पर सोमा ने कहा कि तुम्हारे पति की रक्षा के लिए मैं तुम्हारे साथ घर चलूंगी।
एक दिन सोमा गुणवती के घर गई, उस दिन गुणवती का विवाह हुआ। ज्योतिषाचार्य के बताए अनुसार विवाह होते ही गुणवती के पति की मृत्यु हो गई।
तब सोमा ने पूजा पाठ किया और अपने पुण्य को गुणवती को दान कर दिया। इसे उपाय से गुणवती का पति जीवित हो गया।
उधर सोमा के पति और बेटे की मृत्यु हो गई। जब तक सोमा घर पहुंची, तब तक उसके पति और बेटे के शव को रखा गया था।
रास्ते में सोमा ने एक जगह पर रुककर पीपल के पेड़ के नीचे श्रीहरि भगवान विष्णु की पूजा की थी और 108 बार उस पेड़ की परिक्रमा की थी। इससे अर्जित पुण्य से सोमा के पति और बेटे जीवित हो गए थे।
वे अकाल मृत्यु से मुक्त हो गए थे। इसलिए, मान्यता है कि जो भी व्यक्ति विधि विधान से मौनी अमावस्या का व्रत करता है, उसे भगवन विष्णु की कृपा प्राप्त होती है और दुःख उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाते हैं।