राम जन्म
हिन्दु मान्यताओं के अनुसार चैत्र मास के शुक्ल पक्ष के नवमी तिथि को भगवान श्री राम ने इस धरती पर जन्म लिया था ।
हर साल इस दिन राम नवमी का त्योहार मानाया जाता है ।
महार्षि वाल्मीकि के बालकांड और तुलसीदास के राम चरित मानस में इसी तिथि को श्री रीम के जन्म का उल्लेख किया गया है।
श्री राम ने इस धरती पर 5100 से ज्यादा साल पहले अवतार लिया था ।
अयोध्या के राजा महाराज दशरथ चक्रवर्ती सम्राट थे । राजा दशरथ की तीन पत्निया कौशल्या ,कैकेयी व सुमित्रा थी ।
राजा दशरथ के काफी समय से कोई संतान नही हो रही थी ।
तब राजा दशरथ ने अपने कुल गुरु महर्षि वशिष्ठ के परामर्श से अपने जमाता ऋषि श्रृंग मुनि से पुत्रकामेष्ठि यज्ञ करवाया ।
श्रृंगी रिषिहि बसिष्ठ बोलावा। पुत्रकाम सुभ जग्य करावा॥
भगति सहित मुनि आहुति दीन्हें। प्रगटे अगिनि चरू कर लीन्हें॥
यज्ञ में प्रसाद के रुप में अग्नि देव ने स्वंय प्रकट होकर राजा दशरथ को चरु(खीर) दिया ।
जिसे राजा दशरथ ने अपनी बड़ी रानी कौशल्या को दिया , तथा कौशल्या ने अपने प्रसाद का कुछ भाग रानी कैकेयी को दिया ,
तथा बड़ी रानी कौशल्या तथा कैकेयी ने अपने प्रसाद का कुछ भाग रानी सुमित्रा को दिया ।
जिसके परिणामस्वरुप तीनों रानियों ने गर्भधारण किया ।
राम जन्म के हेतु अनेका , परम विचित्र एक ते एका ।
राम जी के पृथ्वी पर अवतरित होने के अनेक कारण है , जो अत्यंत विचित्र और एक से बढ़कर एक है ।
विप्र धेनु सुर संत हित , लीन्ह मनुज अवतार ।
निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गोपार ।।
पृथ्वी पर जब भी ब्राह्म्णों , ऋषियों ,गायों और संतो पर विपदा आती हैं तब – तब प्रभु अपनी इच्छा से मनुष्य रुप में अवतरित होते है ।
और उनका कल्याण करते है ।
कुछ समय पश्चात बड़ी रानी को एक पुत्र , रानी कैकेयी को एक पुत्र तथा रानी सुमित्रा को दो पुत्रों की प्राप्ति हुई ।
“जोग लगन ग्रह बार तिथि सकल भये अनुकूल ।
चर अरु अचर हर्षजुत राम जनम सुखमूल “।।
(योग , लग्न , ग्रह ,वार और तिथि सभी अनुकूल हो गये । जड़ और चेतन सब हर्ष से भर गये क्योंकि श्री राम का जन्म सुख का आधार है।)
“नौमी तिथि मधु मास पुनीता ।
सुकल पच्छ अभिजित हरि प्रिता।।
मध्यदिवस अति सीत न घामा।
पावन काल लोक विश्रामा ” ।।
(पवित्र चैत्रका महीना था , नवमी तिथि थी , शुक्लपक्ष और भगवान का प्रिय अभिजित मुहुर्त था।
दोपहर का समय था । न बहुत सर्दी थी न बहुत गर्मी थी । वह पवित्र समय सब लोकोंको शांति
देने वाला था ।)
जब ब्राह्मा जी ने भगवान के प्रकट होने का शुभ अवसर जाना ,तब सभी देवता ब्राह्मा जी के साथ
मिलकर भगवान श्री हरि जी के पास गये , तथा उनसे पृथ्वी पर अवतरित होने की प्रार्थना की ।
उसके बाद सभी देवता अपने-अपने लोक को चले गये ।
समस्त लोकों को शांति देने वाले ,जगत के आधार प्रभु प्रकट हुए ।
भए प्रगट कृपाला | दीनदयाला |कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी | मुनि मन हारी |अद्भुत रूप बिचारी॥
लोचन अभिरामा | तनु घनस्यामा |निज आयुध भुजचारी।
भूषन बनमाला | नयन बिसाला |सोभासिंधु खरारी॥
कह दुइ कर जोरी | अस्तुति तोरी |केहि बिधि करूं अनंता।
माया गुन ग्यानातीत अमाना |वेद पुरान भनंता॥
करुना सुख सागर | सब गुन आगर |जेहि गावहिं श्रुति संता।
सो मम हित लागी | जन अनुरागी |भयउ प्रगट श्रीकंता॥
ब्रह्मांड निकाया | निर्मित माया |रोम रोम प्रति बेद कहै।
मम उर सो बासी | यह उपहासी |सुनत धीर मति थिर न रहै॥
उपजा जब ग्याना | प्रभु मुसुकाना |चरित बहुत बिधि कीन्ह चहै।
कहि कथा सुहाई | मातु बुझाई |जेहि प्रकार सुत प्रेम लहै॥
माता पुनि बोली | सो मति डोली |तजहु तात यह रूपा।
कीजै सिसुलीला | अति प्रियसीला |यह सुख परम अनूपा॥
सुनि बचन सुजाना | रोदन ठाना |होइ बालक सुरभूपा।
यह चरित जे गावहिं | हरिपद पावहिं |ते न परहिं भवकूपा॥
भए प्रगट कृपाला | दीनदयाला |कौसल्या हितकारी।
हरषित महतारी | मुनि मन हारी |अद्भुत रूप बिचारी॥
राजा दशरथ जी तथा माता कौशल्या के पुण्यों के फलस्वरुप स्वरुप
श्री हरि विष्णु जी कौशल्या माता के यहाँ अपने चर्तुभुज रुप में प्रकट हुए ।
प्रभु के इस रुप को देखकर माता भयभीत हो गयी ,तथा प्रभु से हाथ जोड़कर विनती करने लगी और बोली हे ! प्रभु आप अपने इस चर्तुभुज रुप को त्याग कर अपने बाल रुप का दर्शन दिजिए ।
और कहने लगीं कि गजब आप बाल रुप में मेरे आँगन में खेलेगें , जब आप की उस लीला को देखकर मेरे नेत्रों को जो सुख
मिलेगा वह सुख संसार के सारे सुखों से परें है । माता की इतनी बात सुनते ही प्रभु बाल रुप में आकर इतना रोनें लगें
और इतना रोयें कि सारी अयोध्या को पता चल गया कि राजा दशरथ के यहाँ बालक का जन्म हुआ है ।
प्रभु के इस रुप का गुणगान जो कोई भी गाता , सुनता हैं उसे प्रभु श्रीहरि विष्णु के चरणों में स्थान प्राप्त होता हैं,और प्रभु उस प्राणी को संसार के भयरुपी कुएँ को पार कराते है ।
श्री राम | जय राम | जय जय राम
श्री राम | जय राम | जय जय राम
।।जय सीता राम।।
जय श्री राम
🙏
Nice
🙏
Jay shree sitaram