Author name: raginu00d

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अयोध्या में विवाह हेतु जनकपुर से संदेश

  अयोध्या में विवाह हेतु जनकपुर से संदेश परशुराम जी को राम जी के धनुष तोड़ने पर विश्वास नही था तब उन्होंने श्रीराम चन्द्र जी से धनुष उठाने के लिए कहा, हे राम- धनुष को हाथ में लीजिए और खींचिए जिससे मेरा संदेह मिट जाए। परशुराम जी धनुष देने लगे, तब वह आप ही चल …

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जय श्री राम

श्री रामचन्द्र जी का परशुराम जी से क्षमा प्रार्थना

श्री रामचन्द्र जी का परशुराम जी से क्षमा प्रार्थना   लक्ष्मण जी का परशुराम जी के प्रति असभ्य व्यवहार को लेकर श्री राम जी परशुराम जी से क्षमा मागते हुए कहते हैं कि यदि बालक कुछ चपलता भी करते हैं तो गुरु, पिता और माता मन में आनंद से भर जाते हैं। अत: इसे छोटा …

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लक्ष्मण

लक्ष्मण – परशुराम संवाद -2

लक्ष्मण – परशुराम संवाद -2   ” बिहसि लखनु बोले मृदु बानी , अहो मुनीसु महा भटमानी ।  पुनि पुनि मोहि देखाव कुठारु , चहत उड़ावन फूँकि पहारू।।” लक्ष्मण जी हंसकर कोमल वाणी से बोले – अहो मुनिश्वर तो अपने को बड़ा भारी योद्धा समझते हैं बार बार मुझे कुल्हाड़ी दिखाते हैं। फूँक से पहाड़ …

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parsuram ji

लक्ष्मण – परशुराम जी का संवाद

“तेहि अवसर सुनि सिवधनु भंगा। आयहु भृगकुल कमल पतंगा।।” शिवजी के धनुष का टूटना सुनकर भृगुकुल रूपी कमल के सूर्य परशुराम जी आए जिन्हें देखकर सब राजा सकुचा गये, मानो बाज के झपटने पर बटेर छुप गये हैं। गोरे शरीर पर भस्म बड़ी फब रही है और विशाल ललाट पर त्रिकुंड विशेष शोभा दे रहा …

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धनुष भंग, श्री राम चन्द्र जी शिव जी के धनुष को कमल की डण्डी की भाँति तोड़े

धनुष भंग, श्री राम चन्द्र जी शिव जी के धनुष को कमल की डण्डी की भाँति तोड़े   “सुनि गुरु बचन चरन सिरु नावा ,हरषु बिषादु न कछु उर आवा। ठाढ़े भए उठि सहज सुभाएं ठवनि, जुबा मृगराज लजाएँ।।” गुरु के वचन सुनकर श्रीराम चन्द्र जी ने गुरु के चरणो में सिर नवाया। उनके मन …

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सीता जी का स्वयंवर में आगमन, वर्णन

सीता जी का स्वयंवर में आगमन, वर्णन   “जानि सुअवसरु सीय तब पठई जनक बोलाइ। चतुर सखी सुंदर सकल सागर चलीं लवाइ।।” तब सुअवसर जानकर जनक जी ने सीता जी को बुलावा भेजा। सब चतुर और सुंदर सखियां आदर पूर्वक उन्हें लेने चली। “सीय सोभा नहीं जाइ बखानी जगदंबिका रूप गुन खानी। उपमा सकल मोहि …

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श्रीराम

राजसभा में श्रीराम जी के यश और सुन्दरता का बखान

राज्य सभा में श्रीराम जी के यश और सुन्दरता का बखान   राज्य सभा में श्रीराम जी के यश और सुन्दरता का बखान श्रीराम चन्द्र जी अपने छोटे भाई लक्ष्मण जी और गुरु वशिष्ठ जी के साथ राजा दशरथ जी के धनुषशाला में पहुँचते है । जहाँ पर भगवान परशुराम जी का दिव्य धनुष रखा …

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श्री राम और लक्ष्मण जी नगर में धनुष यज्ञ भूमि देखने पहुंचते है

श्री राम और लक्ष्मण जी नगर में धनुष यज्ञ भूमि देखने पहुंचते है   “सतानंद पद बंदि प्रभु बैठे गुर पहिं जाइ। चलहु तात मुनि कहेउ तब पठवा जनक बोलाइ।।” शतानंद जी के चरणों की वंदना करके प्रभु श्री राम जी गुरु जी के पास जाकर बैठे तब मुनि ने कहा हे तात चलो जनक …

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माता सीता

श्रीरामजी ने माता सीता की सुन्दरता की तुलना चन्द्रमा से की

श्रीरामजी ने माता सीता की सुन्दरता की तुलना चन्द्रमा से की पुष्पवाटिका में सीताजी से मिलन के बाद श्रीराम चन्द्रजी मन ही मन खुश हैं। “ह्रदयँ सराहत सीय लोनाई , गुरु समीप गवने दोउ भाई । राम कहा सबु कौसिक पाहीं , सरल सुभाउ छुअत छल नाहीं ।।” ह्रदय में सीता जी के सौन्दर्य की …

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सीताजी का राम जी के प्रति मोहित होना

सीताजी का राम जी के प्रति मोहित होना , तथा माता गिरिजा जी का सीताजी को आशिर्वाद

सीताजी का राम जी के प्रति मोहित होना , तथा माता गिरिजा जी का सीताजी को आशिर्वाद   “तात जनकतनया यह सोई, धनुषजग्य जेहि कारन होई। पूजन गौरि सखीं लै आईं, करत प्रकासु फिरइ फुलवाई।।” राम जी लक्ष्मण जी कहते हैं , तात यह वही जनक जी की कन्या है जिसके लिए धनुष यज्ञ हो …

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